Neem Karoli Baba जिनके दर्शन करने भर से ज़िन्दगी को नई दिशा मिल जाती है!

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Neem Karoli Baba

Neem Karoli Baba:नीम करोली बाबा को भारत में ही नहीं बल्कि, विदेश में भी प्रसिद्ध संत के रूप में जाना जाता हैं। यह 20वीं सदी के महान संतों में से एक थे। बड़ी-बड़ी हस्तियां भी नीम करोली बाबा के दर्शन के लिए उत्सुक रहते हैं। नीम करोली बाबा के अनुयायी इन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं। मान्यता है कि जो नीम करोली बाबा के दरबार में अर्जी लगाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

नीम करोली बाबा के जीवन से कई महत्वपूर्ण चमत्कार भी जुड़े हैं। परंतु इतनी महानता होने के बावजूद भी बाबा स्वयं को एक साधारण व्यक्ति ही मानते थे। और किसी भी अन्य भक्त को अपने पैर छूने से वंचित रखते थे। यदि आप नीम करोली बाबा के संपूर्ण जीवन के बारे में जानना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल के अंतक अवश्य बने रहे।Neem Karoli BabaNeem Karoli BabaNeem Karoli BabaNeem Karoli BabaNeem Karoli BabaNeem Karoli Baba

कहां है कैंची धाम ?Where is Kainchi Dham ?

अधिकतर लोग इस जगह के नाम को लेकर चौक जाते हैं और इसके नाम के पीछे की वजह जानने की इच्छुक होते हैं। आपको बता दे की इस जगह की अपनी धार्मिक मान्यताएं है, जहां हर शहर के भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल से 17 किलोमीटर की दूरी पर है। ये जगह कैंची के आकार की बनी हुई है इसलिए इसे कैंची धाम के नाम से जाना जाता है। आश्रम के अलावा यहां पर बाबा नीम करोली का  भव्य मंदिर भी बना हुआ है। 

नीम करोली बाबा का इतिहास History of Neem Karoli Baba Mandir 

नीम करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में 1900 के आसपास हुआ था। नीम करोली बाबा प्रसिद्ध आश्रम कैंची धाम नैनीताल के भवाली के पास में स्थित है। बाबा के पिता का नाम दुर्गा प्रसाद था। नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। परंतु बाबा के जीवित रहते सभी भक्त उन्हें नीम करोली बाबा, लक्ष्मण दास, तिकोनिया वाले बाबा, हांडी वाले बाबा, तलैया बाबा जैसे नामों से प्रचलित थे।  नीम करोली बाबा की शिक्षा किरहीनं से प्रारंभ हुई और बाबा ने 17 साल की आयु में इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई। 

Neem Karoli Baba Mandir
Neem Karoli Baba Mandir

नीम करोली बाबा का विवाह 11 वर्ष की अल्प आयु में ही कर दिया गया था। परंतु विवाह के बाद बाबा ने गृह त्याग कर गुजरात में एक वैष्णव मठ में दीक्षा लेकर साधना करने में मग्न हो गए। बाबा ने कई स्थान पर भ्रमण किया परंतु एक बार दोबारा से इन्हें अपने गृहस्थ जीवन में लौटना पड़ा। 

गृहस्थ जीवन में वापस आने के बाद नीम करोली बाबा के यहां दो पुत्र और एक पुत्री ने जन्म लिया। परंतु सन् 1958 में  बाबा ने फिर से गृह त्याग कर दिया और अनेक स्थानों पर भ्रमण करते हुए कैंची धाम पहुंच गए। कैंची धाम की स्थापना 1964 में करके यहां पर हनुमान मंदिर की स्थापना की थी। कैंची धाम मंदिर में प्रतिवर्ष 15 जून को वार्षिक समारोह मनाया जाता है। और इस दौरान मा मेरा लगता है और विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाता है नीम करोली बाबा अपने मित्र पूर्णानंद के साथ आए थे तथा उनके साथ यहां आश्रम बनाने का विचार भी किया था। 

कैसे जाएं कैंची धाम? Neem Karoli baba Mandir Kaise Jaye 

कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल शहर के पास स्थित है। नैनीताल से 17 किलोमीटर की दूरी कैंची धाम नाम की जगह है, जहां पर आप सड़क मार्ग के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं दिल्ली से नैनीताल की दूरी करीब 324 किलोमीटर है। सफर तय करने में लगभग साढ़े 6 घंटे का समय लगता है। आगे का सफर भी आप सड़क मार्ग से तय कर सकते हैं। 

यदि आप हवाई सेवा प्राप्त करना चाहते हैं तो कैंची धाम से लगभग 70 किलोमीटर दूरी पंतनगर हवाई अड्डा है। कैंची धाम तक पहुंचाने के लिए टैक्स या बस आपको मिल जाएगी। ट्रेन से कैंची धाम जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। काठगोदाम नीम करोली आश्रम से 38 किलोमीटर दूर है।

कैंची धाम जाने का सही समय 

यदि आप नीम करोली बाबा के आश्रम में जाने के लिए सही समय की तलाश कर रहे हैं। और आप नहीं जानते कि कौन सा मौसम कैंची धाम जाने के लिए उपयुक्त होगा? तो बता दे की आप मार्च से जून तक का समय आपके लिए उपयुक्त रहेगा। इसके अलावा सितंबर से नवंबर के बीच भी कैंची धाम घूमने का प्लान बना सकते हैं। क्योंकि इन महीना में मौसम अत्यधिक सुहाना होता है और आश्रम के आसपास का प्राकृतिक परिवेश सफर के लिए बेहतर रहता है वहीं जुलाई और अगस्त में मानसून के कारण पहाड़ी क्षेत्र में जाने से बचे।

नीम करोली बाबा के चमत्कार Miracle of Neem Karoli Baba 

एक बार की बात है नीम करोली बाबा बिना टिकट के फर्स्ट क्लास में ट्रेन में सफर कर रहे थे। तभी वहां पर टिकट चेक करने बाबा के पास टिकट नहीं मिलने पर उन्हें अगले स्टेशन पर उतार दिया, जिसका नाम नीब करौरी था।

ट्रेन से उतरने के बाद बाबा नीम करोली ने ट्रेन से कुछ दूर जाकर जमीन पर बैठ गए, अधिकारी ने ट्रेन आगे बढ़ने का इशारा किया परंतु अचंभे की बात यह थी, की ट्रेन 1 इंच भी आगे नहीं बड़ी और लंबे समय तक सभी निरीक्षण करने के बावजूद भी जब इसका कोई हल नहीं निकला तो सब परेशान हो गए उस क्षेत्र के मजिस्ट्रेट को जब इस घटना के बारे में पता चला तब उसने अधिकारी को बाबा नीम करौली से माफी मांगने और सम्मानपूर्वक ट्रेन में बैठने का आदेश दिया।

ऐसा करते ही ट्रेन चल पड़ी और तभी से उनका नाम बाबा नीम करोली पड़ गया बाबा नीम करोली के ऐसे कई किस्से हैं। जिसमें उन्होंने चमत्कार किया है। और इसलिए उनके भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं।

कहा जाता है कि एक बार नीम करोली बाबा ने अपने एक विदेशी अनुयायी को ब्लड प्रेशर की दवा का सेवन करते हुए देखा और बाबा ने उस दवा की शीशी मांगी और उसे खोलकर उसमें रखी दवा की सारी गोलियां खा ली यह देखकर सभी अनुयाई काफी घबरा गए और जल्दी एंबुलेंस बुलाने की तैयारी में लग गए परंतु घंटों बीत जाने के बाद भी बाबा को कुछ नहीं हुआ। और वह पहले की तरह मुस्कुरा रहे थे।

कैसे प्रसिद्ध हुआ कैंची धाम ?How did Kainchi Dham become famous?

नीम करोली बाबा को सभी भक्त  हनुमान जी का अवतार मानते हैं। बाबा चमत्कारिक होने के साथ-साथ एक सीधे-साधे सरल व्यक्ति थे। नीम करोली बाबा के संबंध में कई तरह के चमत्कारिक किस्से सुनने को मिलते हैं। नीम करोली बाबा के चमत्कारों और हनुमान जी की कृपा के कारण ही कैंची धाम प्रसिद्ध है। यह एक ऐसी जगह है जहां पर कोई भी अपनी मनोकामना लेकर जाता है। तो वह खाली हाथ नहीं लौटता। यहां बाबा की समाधि स्थल भी है। यह नीम करोली बाबा की एक भव्य मूर्ति स्थापित भी की गई है और हनुमान जी की मूर्ति भी है।

Neem Karoli baba से सम्बंधित प्रश्न-उत्तर

नीम करोली बाबा को क्या चढ़ाया जाता है?

नीम करोली बाबा के आश्रम में लोग प्रसाद के रूप में ‌फल, मिठाइयां और पैसे ही नहीं, बल्कि कंबल भी चढ़ाते हैं।

नीम करोली बाबा किसकी पूजा करते थे? 

नीम करोली बाबा हनुमान जी की पूजा करते थे। 

नीम करोली कौन से राज्य में है ?

नीम करोली देहरादून के धारकोट राज्य में स्थित है।

नीम करोली बाबा के चमत्कार क्या है? 

एक बार नीम करोली बाबा बिना टिकट के फर्स्ट क्लास ट्रेन में बैठ गए टिकट चेक करने बाबा के पास टिकट नहीं मिलने पर उन्हें अगले स्टेशन पर ही उतार दिया, जिसका नाम नीम करोली था। ट्रेन से उतरने के बाद बाबा कुछ दूर जाकर जमीन पर बैठ गए। लेकिन उसके बाद ट्रेन नहीं चली। लंबे समय निरीक्षण करने के बाद भी ट्रेन नहीं चली इसके बाद मजिस्ट्रेट को पता चलने के बाद उसने अधिकारी को बाबा से माफी मांगने और सामान पूर्वक ट्रेन में बैठने के लिए कहा। उसके बाद ट्रेन चलने लगी। 

नीम करोली बाबा कब जाना चाहिए? 

नीम करोली बाबा के यहां मार्च से जून तक का समय उपयुक्त रहता है। Neem Karoli Baba Mandir Neem Karoli Baba Mandir Neem Karoli Baba Mandir 

कैंची धाम में क्या खास है ?

कैंची धाम, नीम करोली बाबा को समर्पित है यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। 

नीम करोली बाबा के आश्रम में कैसे ठहरे ?

नीम करोली बाबा के आश्रम में आने वाले लोगों को शयन ग्रह से लेकर निजी कमरे तक मिलते हैं। यहां रुकने का खर्च ₹200 प्रति दिन का हो सकता है और भोजन के लिए नाम मात्र के पैसे खर्च होते हैं। 

कैंची धाम का दौरा किसने किया था? 

कैची में नीम करोली बाबा के आश्रम का दौरा स्टीव जॉब से प्रभावित होकर मार्क जुकरबर्ग ने किया था।

नीम करोली बाबा क्यों फेमस है ?

नीम करोली बाबा को भक्ति हनुमान जी का अवतार मानते थे परंतु बाबा स्वयं भी हनुमान जी की पूजा करते थे। इन्होंने हनुमान जी की कई मंदिर भी बनवाएं। और किसी अन्य व्यक्ति को अपने पर छूने से इनकार करते थे।

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