Satvik Bhojan और Tamsik Bhojan
हमारे शास्त्रों और आयुर्वेद में भोजन को तीन भागों में बांटा गया है। सात्विक, राजसिक और तामसिक। राजसिक भजन राजा महाराजाओं के घर में बनता था। यानी कि घी ,तेल मसाले का अधिक इस्तेमाल होता था।तामसिक भोजन में मांस, मछली, लहसुन, प्याज आदि आते हैं। सबकी साधु संतों के साधारण भोजन को सात्विक भोजन कहते हैं। इसे सबसे शुद्ध और शरीर के लिए अच्छा माना जाता है ।
सात्विक भोजन(Satvik Bhojan) क्या है ?
आयुर्वेद के जानकारी के मुताबिक बिना प्याज , लहसुन और बहुत कम तेल मसाले के साथ एकदम शुद्ध तरीके से बनाया गया भोजन सात्विक भोजन कहलाता है। आयुर्वेद और हिंदू शास्त्र में इसे सबसे अच्छा और शुद्ध कहा गया है। साधु संत हमेशा ऐसा ही भोजन करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इससे शरीर को पूरा पोषण और ऊर्जा मिलती है और दिमाग को शांत बनता है । सात्विक भोजन अधिकांश उबला हुआ होता है यदि आप शुद्ध तरीके से खाना बनाकर 2- 3 घंटे के अंदर खाते हैं। तो यह भी सात्विक भोजन होता है। इसके अलावा इसमें इन चीजों को शामिल किया जा सकता है। साबुत अनाज,फल और सब्जियों फलों का जूस , दूध,घी मक्खन मेवे, शहद बिना प्याज लहसुन वाली दाल,सब्जियां आदि ।
सात्विक भोजन(Satvik Bhojan) के फायदे
आयुर्वेद के जानकारी के मुताबिक सात्विक भोजन हमारे मन और शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
यह पचने में आसान – आपने कभी सोचा है,कि घर के बड़े बुजुर्ग उपवास के बाद बिना तेल मसाले का हल्का भोजन करने की सलाह क्यों देते हैं , क्योंकि यह आसानी से पच जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक सात्विक भजन की यही खासियत है। कि यह आपके पेट को आराम देता है।Satvik Bhojan खाने से आपको ताज़गी का एहसास होता है। मन भी शांत रहता है। क्योंकि ऐसा भोजन करने वालों को कभी भी पेट संबंधित बीमारी नहीं होती है।
शांति और सुकून का एहसास– आयुर्वेद के मुताबिक सात्विक भोजन करने से मानसिक शांति मिलती है। इससे न सिर्फ शरीर की थकान दूर होती है। बल्कि व्यक्ति को शांति और खुशी का भी एहसास होता है ।
बढ़ती है खूबसूरती – Satvik Bhojan पूरी तरह से स्वस्थ और शुद्ध होता है । इसलिए विशेषज्ञों का कहना है, कि ऐसा भोजन करने से आपकी त्वचा और बाल खूबसूरत बनते हैं।
पौष्टिकता से भरपूर – चुंकि Satvik Bhojan ज्यादातर सिर्फ उबाल उबाल कर ही बनाया जाता है। या इसमें ताजे फल और सब्जियों का सेवन किया जाता है। इसलिए यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं। क्योंकि तेल मसाले और शक्कर का इस्तेमाल न के बराबर होता है इसलिए दिल के मरीजों को डायबिटीज पेशेंट के लिए यह बहुत खास होता है।
तामसिक भोजन(Tamsik Bhojan) क्या है?
खूब तेल, मसाले और प्याज, लहसुन डालकर बनाया गया भोजन तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है । इसमें मांस, मछली के साथ ही प्याज, लहसुन से बना खाना खमीर उठी हुई चीज आदि शामिल है, ऐसा भोजन करने से शरीर में सुस्त आती है। और व्यक्ति का किसी काम में मन नहीं लगता, उसका मन भटकने लगता है। और मानसिक शांति और शारीरिक ऊर्जा बिल्कुल नहीं रहती।
तामसिक भोजन(Tamsik Bhojan) के नुकसान
आयुर्वेद में तामसिक भोजन को शरीर और मन के लिए अच्छा नहीं माना गया है ।
आसानी से नहीं पचता – आयुर्वेद की जानकारी का मानना है। कि चुकी ऐसे भोजन को बनाने में तेल ,मसाले का अधिक इस्तेमाल होता है। इसलिए लंबे समय तक इनके सेवन से पेट में जलन एसिडिटी के साथ ही अन्य समस्या भी हो सकती हैं । ऐसा भोजन आसानी से पचता भी नहीं है।
आलसी बनाता है – सात्विक भोजन से जहा शरीर को फुर्ती और ऊर्जा मिलती है। वही तामसिक भोजन के सेवन से शरीर आलसी और जद बन जाता है।
सेहत के लिए नुकसानदायक – बासी और बहुत देर का बना बेस्वाद खाना भी तामसिक माना जाता है । इसके अलावा अधिक तेल ,मसाले वाला और मीठा भोजन करने से सेहत बिगाड़ सकती है ।
क्रोध और तनाव का कारण – शराब जैसी नशीली चीजों को भी तामसिक प्रकृति का माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुज के मुताबिक, ऐसे भजन के सेवन से गुस्सा और तनाव बढ़ जाता है।
नोट – ऊपर दी गयी जानकारी सिर्फ सुझाव के उद्देश्य से बताई गयी है।इस जानकारी को प्रोफेशनल या डॉक्टर की सलाह के तौर पर ना लें।